उसे तुम
किसके गुनाहों की सजा दे रहे हो ?
उस गुनाह की
जो उसने किया नहीं !
या फिर
उस गुनाह की
जो खुद उसके सांथ हुआ है !!
वह पीड़ित है !!!
बलात्कार हुआ है ... उसके सांथ
उसकी आबरू लूटी गई है
सच ! गुनहगार तो कोई और है ?
बताओ ... फिर ...
उसे, उसके परिवार को
क्यों -
समाज से बेदखल किया जा रहा है ??
सिर्फ इसलिए
कि -
वह एक औरत है ???
4 comments:
लानत है ऐसे समाज पर ... सर उठाके व्यभिचार करनेवालों पर तो बोलती बन्द होती है और जहाँ ज़िन्दगी सिसकती है वहाँ बातें बनाता है .
बड़े कठिन से नियम बने हैं,
दे दे भैया, जोर लगा दे..
samaaj ke ghranit chahre ko darshaya hai kalam ke madhyam se.bahut khoob.
ऐसे समाज को लानत है,..बहुत बढ़िया,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,.....
MY NEW POST...काव्यान्जलि...आज के नेता...
Post a Comment