Tuesday, February 21, 2012

बलात्कार ...

उसे तुम
किसके गुनाहों की सजा दे रहे हो ?
उस गुनाह की
जो उसने किया नहीं !
या फिर
उस गुनाह की
जो खुद उसके सांथ हुआ है !!
वह पीड़ित है !!!
बलात्कार हुआ है ... उसके सांथ
उसकी आबरू लूटी गई है
सच ! गुनहगार तो कोई और है ?
बताओ ... फिर ...
उसे, उसके परिवार को
क्यों -
समाज से बेदखल किया जा रहा है ??
सिर्फ इसलिए
कि -
वह एक औरत है ???

4 comments:

रश्मि प्रभा... said...

लानत है ऐसे समाज पर ... सर उठाके व्यभिचार करनेवालों पर तो बोलती बन्द होती है और जहाँ ज़िन्दगी सिसकती है वहाँ बातें बनाता है .

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़े कठिन से नियम बने हैं,
दे दे भैया, जोर लगा दे..

Rajesh Kumari said...

samaaj ke ghranit chahre ko darshaya hai kalam ke madhyam se.bahut khoob.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

ऐसे समाज को लानत है,..बहुत बढ़िया,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,.....

MY NEW POST...काव्यान्जलि...आज के नेता...