Thursday, February 23, 2012

इज्जतदार ...

कह रहे थे लोग जिसको
चोर सारे
वो
मौकापरस्ती का बड़ा फनकार निकला !
नेतागिरी की
जब से उसने राह पकड़ी
वो
राजनैतिक दांव-पेंचों का
होनहार निकला !!
जिसे, एक समय
गाँव से
बेइज्जत कर निकाला गया था
वो
आज गाँव का
सबसे बड़ा इज्जतदार निकला !!!

2 comments:

Unknown said...

so true... what to do , the people are busy in thier lives so bekare log are catching up with politics. do visit and chk my new poem
http://rahulpoems.blogspot.in/2012/02/blog-post.html

प्रवीण पाण्डेय said...

यही सच हो गया है...