नहीं मिला उसे कुछ, दिल तोड़ कर मेरा
कितना तड़फा हूँ, ये उसे आजमाना था !
रंज करता, तो करता कब तक
जाके उसे, मुझे ही मनाना था !
सच ! कहाँ था जोर, मेरा मुझ पर
वक्त के हांथों, मैं एक खिलौना था !
मेरी फ़रियाद पे भी खामोश ही रहा
वो 'खुदा' है उसे ये, मुझे बताना था !
बहुत खाली थी, बंद मुट्ठी मेरी
मगर उसको, तो आजमाना था !!
2 comments:
सच है, सब छोड़ देने से सब मिलने लगता है
मेरी फ़रियाद पे भी खामोश ही रहा
वो 'खुदा' है उसे ये, मुझे बताना था !...waah
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