"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
Thursday, December 1, 2011
कैद ...
मैं जानकर - या यूँ कहूं जानबूझकर ही तुमसे छिपते छिपाते रहा हूँ ! डरता था कहीं तुम अपनी खुबसूरत व मोहक अदाओं से मुझे अपना न बना लो ! और कहीं - मैं कैद होकर न रह जाऊं तुम्हारी खुबसूरती में ...!!
2 comments:
Hmmmm....!
bhaavo ki behtreen abhivaykti....
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