Wednesday, November 9, 2011

खामोश मुहब्बत ...

कालेज में बीए अंतिम वर्ष के बाद विदाई समारोह के दौरान ...

निधी - राम हम तीन वर्ष एक सांथ पढ़कर निकल रहे हैं, आज कालेज का अंतिम दिन है शायद कल के बाद हमारी मुलाक़ात हो, या ना भी हो, यह हम नहीं जानते हैं !
राम - हाँ, सच कहा तुमने निधी ... पर शायद मुलाक़ात संभव भी हो क्योंकि दुनिया गोल है !

निधी - राम हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं ... शायद दोस्ती के दौरान मुझे तुम ... मुझे तुमसे प्यार भी हो गया है किन्तु मैंने कभी तुमसे कहा नहीं, आज हिम्मत कर कह रही हूँ यदि तुम्हारी हाँ हो तो हम एक सांथ जीवन भी गुजार सकते हैं !
राम - हाँ एक-दो बार मुझे एहसास हुआ है कि तुम मुझे चाहने लगी हो किन्तु ... किन्तु मैं अनदेखी करता रहा ... वजह भी तुम जानती हो, मेरे लिए पढ़ाई कितनी जरुरी थी !

निधी - पर अब पढ़ाई पूरी हो चुकी है, मेरी दिली इच्छा है कि मैं जीवन भर के लिए तुम्हारी हो जाऊं !
राम - मैं जानता हूँ मुझे तुमसे अच्छी लड़की नहीं मिल सकती, और शायद सारे जहां में कोई दूसरी लड़की तुम जैसी होगी भी नहीं ... पर शादी करना मुमकिन नहीं है !

निधी - हाँ, मैं जानती हूँ तुम्हारी पारिवारिक परिस्थितियों को तथा तुम्हारे दायित्वों को ... फिर भी अगर तुम चाहो तो हम दोनों सांथ मिलकर ...
राम - निधी, शायद मुमकिन नहीं है !

निधी - ठीक है, मैं समझती हूँ, ... मेरी शादी कब होगी यह तो मैं नहीं जानती, पर ... शादी के फेरे पड़ने के पहले तक मुझे तुम्हारा इंतज़ार रहेगा ... जैसे ही हालात बदलें तुम निसंकोच चले आना !
राम - 'रब' जानता है क्या होगा, क्या नहीं ... फिलहाल तो मैं कुछ नहीं कह सकता !

निधी - राम, क्या हम विदा होने के पहले एक बार गले लग सकते हैं ?
राम - आज नहीं, 'रब' ने चाहा तो हम जरुर गले लगेंगे ...
( दोनों एक-दूसरे को कुछ देर देखते रहे ... तथा अगले पल ... दोनों एक-दूसरे को नम आँखों से शुभकामनाएं देते हुए विदा हो गए ... )

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