Thursday, November 24, 2011

... ये डकार नहीं लेंगे !

सच ! अभी भी वक्त है यारो, संभल जाओ, सुधर जाओ
कहीं ऐंसा न हो, घर से निकलते ही तुम लात खा जाओ !
...
एक चांटे से एक हजार करोड़ बसूल हो गए हैं यारो
अभी तो, हजारों हजार करोड़ का हिसाब बांकी है !!
...
अगर वो चाह ले तो, खुदी को बेच के दम ले
मौकापरस्ती का, वह बड़ा फनकार है यारो !
...
मोटे लोग हैं, जूते, चप्पल, चांटे, क्या उखाड़ लेंगे
हजारों हजार करोड़ गटक के, ये डकार नहीं लेंगे !
...
'खुदा' जाने, कब तलक ये सिलसिला चलते रहेगा
मुल्क में मेरे, नंगे-लुच्चों का हौसला बढ़ते रहेगा !
...
न तू रंज कर, और न मुझे ही रंज होने दे
सूखी पडी जमीं को तू आज भीग जाने दे !
...
काश ! खुशियों के भी, अपने मिजाज होते
फिर तो अपने भी मिजाज, लाजवाब होते !