मुद्दे की बात ये नहीं है
कि -
मैं कवि हूँ
मुद्दे की बात तो ये है
कि -
मैं कवि क्यूँ हूँ !
जब कविताओं की समझ नहीं है
कोई ज्ञान नहीं है
और तो और -
कोई पुराना अनुभव भी नहीं है !
चलो, ठीक है, मान लेते हैं
कि अनुभव नहीं है
अनुभव नहीं है तो नहीं है
फिर भी चल जाएगा !
पर यार, तू ही बता
बिना किसी के सर्टिफिकेट के -
इस लाइन में
तेरा काम कैसे चल पायेगा !
सर्टिफिकेट, कौन देगा ?
बहुत से घूम रहे हैं
खुद को गुरु, किसी का चेला
कहते, बोलते हुए
गुरु तो गुरु, चेले भी -
तैयार हैं, देने के लिए
सर्टिफिकेट, जय जयकार है !
3 comments:
भाई आप को मिल जाये तो बताना, एक ठो हम भी ले लेंगे ...........
अच्छा व्यंगय
सटीक व्यंग...
सटीक कटाक्ष।
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