Thursday, November 10, 2011

... कब तक अंजान रखेगा खुद को !!

सच ! कल और आज में, कोई फर्क नहीं है 'उदय'
ये दिल की बातें हैं, तुम जानें हो या हम जानें हैं !
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अहम भी खुबसूरती को बा-अदब सलाम करता है
जाने कौन है वो शख्स, जो तुम पे नहीं मरता !
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आज हर उस मुर्दे में, मुझे जान नजर आई है
कल तक जो ज़िंदा थे, जीते जी मुर्दा बन कर !
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सच ! तुमसे मिलकर, मिजाज बदल गए मेरे
शायद यह वजह होगी, मौसम बदलने की !!
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सुना है कुछ ख़्वाब, खुली आँखों में ही आते हैं 'उदय'
सच ! चलो अच्छा हुआ, जो नींद से झगड़ा हुआ है !
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उम्मीदों के चिराग मत बुझने देना 'उदय'
'सांई' जाने, कब वो जगमगा जाएं !!
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नेक नियती हो तो परम्पराएं बदल जाएं
सच ! हों, तो फिर क्या कहने !!
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लोगों ने तो सरकार को बपौती समझ रक्खा है
उफ़ ! फिर भी, ये तो फेसबुक है !!
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प्यार के फूलों को खिलने दो, खुशबू बिखरने दो
देखें, माशूक कब तक अंजान रखेगा खुद को !!
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कुछ राज हैं छिपे दिल में, धड़कनों को संभालो तुम
रोता हुआ दिल है तो क्या, चेहरे को संभालो तुम !!
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आशिकी में, हवा के झौंके भी, झटके दे देते हैं 'उदय'
अब कर ही ली है मुहब्बत, तो ज़रा संभल के चलो !
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सच ! किसी न किसी दिन, मुझे भी 'रब' हो जाना था
आज खौफ के मंजर में, उसी ने चुन लिया मुझको !!
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तेरा जी चाहे, उतने इल्जाम लगा दे मुझ पे
सच ! पर 'रब' जाने है, मुजरिम नहीं हूँ मैं !

1 comment:

AK SHUKLA said...

तेरा जी चाहे, उतने इल्जाम लगा दे मुझ पे
सच ! पर 'रब' जाने है, मुजरिम नहीं हूँ मैं

वाह उदय जी .. वाह