जब तक
दुर्भावना पूर्ण सोच -
भाई भतीजा वाद
हमारे-तुम्हारे जेहन में रहेंगे
तब तक, हाँ, तब तक
आलोचना
समालोचना
समीक्षा
विश्लेषण
सलाह व योजनाओं में ...
निष्पक्ष भाव -
विचार
शायद, परिलक्षित नहीं हो सकेंगे
इसलिए
सर्वप्रथम, हमें
खुद को बदलना होगा
बगैर खुद को बदले
शायद, हम
दुनिया की सोच न बदल पाएं
और हम, हमारा
असल चेहरा, असल व्यक्तित्व
देश, दुनिया के सामने न ला पाएं
कब तक
हम, खुद को
दुनिया रूपी मंच पर
पीछे, बहुत पीछे, देखते रहेंगे
खुद को, खुद ही पीछे ढकेलते रहेंगे ...
आज, हमें, हमारी सोच को
खुद ही बदलना होगा
और निष्पक्ष भाव से ...
कदम दर कदम आगे बढ़ना होगा !!
3 comments:
निष्पक्ष भाव ही सर्वहित में है।
बहुत सुंदर, सार्थक, सामयिक रचना व सोच....बधाई...
bhaut sarthak post...
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