Monday, October 10, 2011

बेजुबां मुहब्बत ...

हम दीवाने होकर भी
उनके सामने कटघरे में
खड़े हैं
और उन्होंने
जिस्म के सौदागर को
जज बना दिया है !

अब
'खुदा' जाने, क्या होगा
मेरी बेजुबां मुहब्बत का
कहीं
सिसक सिसक के
दम न तोड़ दे !

या कहीं, ऐंसा न हो
केस के चलते चलते
बेगुनहगार -
साबित होते होते
मेरी मुहब्बत, माशूक
बेच दी जाए !
किसी अमीर के हांथों
खरीद ली जाए !!

और पहुँच न जाए
किसी -
फ़ार्म हाऊस में
फ़्लैट में
या
पंच सितारा होटल में !!

1 comment:

आपका अख्तर खान अकेला said...

vaah uday bhaai kmaal hi kar daalaa aapne to jvab nhin .....akhtar khan akela kota rajsthan