Tuesday, October 25, 2011

दीवाली ... और सूना आँगन !!

मेरा आँगन सूना है
और हर आँगन में खुशियाँ हैं
'सांई' जाने
कब तक मुझको
खुद ही
दीपक बन के जलना है !!

सूना आँगन लेकर मुझको
कब तक आगे बढ़ना है
अंधियारों से
कब तक मुझको
दीपक बन के लड़ना है !!

वो दिन कब आयेगा 'सांई'
जब खुद तुमको ही
इस सूने आँगन में
बन दीवाली -
जगमग जगमग होना है !!

( सांई = शिर्डी वाले सांई बाबा )

3 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर ..
.. आपको दीपोत्‍सव की शुभकामनाएं !!

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर ..
.. आपको दीपोत्‍सव की शुभकामनाएं !!

vandana gupta said...

सुन्दर प्रस्तुति…………दीप मोहब्बत का जलाओ तो कोई बात बने
नफ़रतों को दिल से मिटाओ तो कोई बात बने
हर चेहरे पर तबस्सुम खिलाओ तो कोई बात बने
हर पेट मे अनाज पहुँचाओ तो कोई बात बने
भ्रष्टाचार आतंक से आज़ाद कराओ तो कोई बात बने
प्रेम सौहार्द भरा हिन्दुस्तान फिर से बनाओ तो कोई बात बने
इस दीवाली प्रीत के दीप जलाओ तो कोई बात बने

आपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें।