मुसाफिर था, तेरी गलियों में,
घड़ी-दो-घड़ी के लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !
तेरी यादों में, रहेगा अब बसर मेरा
सदा सदा के लिए !
गुनगुनाते फिरा, सदा सदा
मैं गीत तेरे लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !
याद आऊँ, तो तुम
गुनगुना लेना
गीत बन गया हूँ, अब मैं तुम्हारे लिए !
सदा सदा के लिए
अब चल पडा हूँ, एक लम्बे सफ़र के लिए !!
1 comment:
कहाँ तुम चले गये।
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