Wednesday, July 20, 2011

जो दिल कहता है वह करता चल !

राम एक पच्चीस साल का बेहद मेहनती व संघर्षशील नवयुवक अपने जीवन के बुरे वक्त व तंग हालात से जूझता जूझता, सड़क पर पैदल चलते चलते एक मंदिर की चौखट तक पहुँच कर सीढ़ियों पर ही बैठ गया, सीढ़ियों पर बैठे बैठे अपने बुरे आज व आने वाले कल के बारे में सोचते सोचते उसकी मंदिर की सीढ़ियों पर नींद लग गई ... वह थकी व गहरी नींद में था तब उसके स्वप्न में उसकी बूढ़ी दादी प्रगट हुईं और कहने लगीं - बेटा राम, तू उदास मत हो, मैं जानती हूँ तू बहुत ज्यादा परेशान है तू सदा से ही माता-पिता व परिवार वालों का कहा सुनता-मानता आया है तू परिवार का एक आज्ञाकारी पुत्र है तुझ पर परिवार को सदैव गर्व रहेगा किन्तु मेरी एक सलाह मान और आज से ही तू उस सलाह पर काम करना शुरू कर दे, तेरी सारी परेशानियां व उलझनें धीरे धीरे दूर हो जाएंगी, मेरी सलाह यह है कि तू आज से, आज से क्या अभी से ही "जो दिल कहता है वह करता चल" ... राम अचानक नींद से जागा, खुद को मंदिर की सीढ़ियों पर देख आश्चर्यचकित सा हुआ, शायद कुछ पल को वह भूल-सा गया था कि वह थका-हारा स्वयं चलते चलते वहां तक पहुंचा था, फिर स्वप्न के बारे में सोचने लगा तथा स्वप्न में आई अपनी स्वर्गवासी दादी के बारे में सोचने लगा, सोचते सोचते उसने सीढ़ियों से उठकर अन्दर मंदिर में प्रवेश किया, प्रवेश करते ही वह पुन: आश्चर्यचकित सा हुआ, दर-असल वह माता काली का मंदिर था और उसकी स्वर्गवासी दादी माता काली की एक बहुत बड़ी भक्त थीं, राम इन कुदरती संयोगों के बारे में मंदिर में खडा खडा सोच रहा था तब ही स्वप्न में मिला दादी का उपदेश - "जो दिल कहता है वह करता चल" उसके दिमाग में मंदिर की घंटियों की तरह गूंजने लगा, कुछ देर सोच-विचार के बाद राम ने स्वप्न में मिले उपदेश को ही माता काली व स्वर्गवासी दादी का आदेश मान लिया और माता काली का आशीर्वाद लेकर वह मंदिर से घर चला गया, दूसरे दिन प्रात: काल से ही उसने परिवार के द्वारा मन में संजोये गए सरकारी अफसर बनने के ख़्वाब को भूलते हुए दिल की सुनी और दिल की धड़कनों के अनुसार ही राम ने अपने लेखक बनने के स्वप्न की ओर कदम बढ़ा दिया ... थोड़े-बहुत उतार-चढ़ाव के दौर आए और चले गए, राम की लगभग दस सालों की मेहनत ने ही उसे विश्व प्रसिद्ध लेखक बना दिया !!

4 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यही तो बड़ी मुश्किल का काम है... अपने मन की सुनता भी कौन है...

प्रवीण पाण्डेय said...

अन्तः की पुकार सुने, मन की जिद नहीं।।

JAGDISH BALI said...

Inspiring one.

संजय भास्‍कर said...

मुश्किल है...