फितरती सोच ने, लोकतंत्र का कबाड़ा कर दिया है 'उदय'
वरना था तो तंत्र, लोक का ही, पर जन जन त्राहीमाम हैं !
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ढेरों लोगों ने इसे पागल घोषित, अघोषित रूप से कर रक्खा है
अब तो हक़ बनता है, जी में जो आये बोलने, बड़-बड़ाने का !!
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दल-दल सा बना दिया है, दलालों ने मुल्क को
और बेशर्म से हो चले हैं, हुक्मरान मुल्क के !!
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काश ! हंसी चेहरा तुमसा, एक और होता
हम तुम पे, और वो हम पे, मरता होता !!
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तमगों के ख़्वाब सजाए थे, अब पूरे हुए
उफ़ ! कितने सच्चे थे, कितने झूंठे थे !!
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आज भी, तेरे शहर में, खुशबू बिखरी, है मेरी
मैं क्यूं पडा हूँ आज भी, सूखा तेरी किताब में !
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गर झांका हुआ होता, हमने, खुद को, अपने गिरेबां में
वतन की जमीं ही क्या, दिलों में भी, हम जी रहे होते !
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तय है, भ्रष्टतम भ्रष्ट भ्रष्टाचारियों का निपटना, तय है
अनशन ! आज झौंके हवा के हैं कल तूफां बनेंगे, जय हिंद !!
3 comments:
bilkul toofan banenge bas waqt ka intezaar hai.
तय है, भ्रष्टतम भ्रष्ट भ्रष्टाचारियों का निपटना,
तय है अनशन ! आज झौंके हवा के हैं कल तूफां बनेंगे, जय हिंद !!
बहुत खूब !!
सोच बहुत उम्दा है ...लेखन भी बहुत बढ़िया है पर क्या
भ्रष्टाचारियों से निपटना इतना आसान है क्या ?
anu
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