Thursday, June 30, 2011

... "चवन्नी" गई तेल लेने !!

मंत्री जी ने अपने फ़ार्म हाऊस पर आनन-फानन में पार्टी का आयोजन किया ... सन्देश पाकर पहुँच गए अपुन भी ... आखिर बचपन के मित्र जो थे किन्तु इस अचानक आयोजित पार्टी का मकसद समझ से परे था इसलिए अपुन ने भी आव देखा न ताव, और खटाक से पूंछ लिया मंत्री जी से, क्या बात है भाई साहब आज अचानक पार्टी-सार्टी ! ... हाँ यार, आज खुशी का दिन है इसलिए सोचा की क्यों न आज ही इन्जाय किया जाए ... अपुन बोला, ठीक है भाई साहब इन्जाय करना तो बनता है पर खुशी का कारण तो पता हो ! ... अरे यार अब तुझ से क्या छिपा है आखिर तू बचपन का यार है सांथ सांथ बचपना गुजरा है ... हाँ वो तो ठीक है, पर अपुन के समझ नहीं आया, खुशी वो भी अचानक, ये कहाँ से आ टपकी ... अरे यार याद है तुझे, आज से लगभग चालीस साल पहले, जब मुझे विधानसभा का टिकट मिलने वाला था सारे इलाके में हो-हल्ला हो गया था उस समय मुझे रुपयों की जरुरत थी और मैं रुपये उधार लेने गाँव के सेठ धनीराम के पास गया था उस समय तू भी तो था सांथ में, याद है तुझे उस स्साले सेठ ने मुझे उधार देने से मना कर दिया था, और याद है क्या बोला था साला - "चवन्नी की औकात नहीं है और आ गए रुपैय्या उधार लेने" ... हाँ भाई साहब याद आया अपुन को ... हाँ यार उसी दिन से "चवन्नी" मेरे दिमाग में खटक रही थी, रही बात उस सेठ की, उसे तो उसकी औकात दिखा ही दी थी चुनाव जीतने के बाद, पर वो "चवन्नी" वाला तीर अन्दर तक चुभा हुआ था, जब भी देखता था "चवन्नी" को, तो देखते ही खून खौल जाता था, अब समझा, आज उसी खुशी की पार्टी है ... हाँ ... हाँ ... हाँ, समझ गया, तो इसका मतलब ये है कि आज से जो "चवन्नी" बंद हुई है वो तेरी मेहरवानी से ... हाँ, अब समझा तू, आज यही है अपनी खुशी का कारण, साली अब न ये "चवन्नी" रहेगी और न ही वो "औकात" वाली बात, चल छोड़, बात आई-गई हो गई, आ इन्जाय करते हैं, चीयर्स ... चीयर्स ... यार तू तो बहुत "चालू आईटम" निकला, मेरा मतलब भाई साहब ... चल छोड़ न यार, जाने दे, अब तो "चवन्नी" गई तेल लेने, चल आजा ... चीयर्स - चीयर्स ... !!

2 comments:

राज भाटिय़ा said...

अब समझ मे हमारी भी आ गया इन कमीने नेताओ की ओकात चव्वनी से भी कम हे:)

प्रवीण पाण्डेय said...

रुपयों की भभक में चवन्नी को सबक।