एक नेता, और ढेर सारे आम आदमी
सड़क पर खड़े होकर
जोर-जोर से चिल्ला रहे थे
सरकार
कमजोर लोकपाल बनाना चाहती है
हम इसके खिलाफ हैं !
मैं नारे सुनकर सन्न रह गया
खड़े-खड़े सोचने लगा
कि बहुत कठिन घड़ी जान पड़ रही है
जन लोकपाल का मुद्दा
ड्राफ्टिंग कमेटी की मीटिंगों से
बाहर निकल कर
सड़क पर आ गया है
सरकार हिल रही है, कहीं गिर न जाए
मैं, चुप-चाप नारे सुनता रहा
माहौल शांत-सा हुआ
तब मैंने पूछा
क्या हो गया ... नेता जी
क्यों ख़ामो-खां सरकार गिरा रहे हो
उन्होंने कहा - कौन सरकार गिरा रहा है
हम तो ... भ्रष्टाचार ...
और कमजोर लोकपाल ...
मतलब सरकार का नहीं !
नहीं साहब ... आपको गलतफहमी हो रही है
हम सरकार का नहीं
लोकपाल ... कमजोर लोकपाल का विरोध कर रहे हैं
हम इसके सख्त खिलाफ हैं !!
2 comments:
बहुत बारीकी से पकड़ा है आपने.. यही तो हो रहा है.
लोकपाल लोकभावनाओं का पालन कर सके।
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