Tuesday, April 19, 2011

... चला गया, आफिस की ओर !!

कविता : सांथी

वह शाम को
थका-हारा सा आया
मुझसे मिला, गले लगा
सांथ सांथ खाया-पिया
फिर सारी रात
हौले हौले
वह मुझमें समाता गया
समाया रहा, सारी रात, मुझमें
रात गुज़री
सब हुई
हौले हौले निकला बाहर
हंसता, खिलता, निखरता
मुझे निहारता, पुचकारता
फिर, स्नान-ध्यान कर
सुबह का नाश्ता कर
मुझे चूमते-चामते
हाँथ में ब्रीफकेस उठा
रोज की तरह, फिर
चला गया, आफिस की ओर !!