Saturday, February 5, 2011

उफ़ ! स्कूली बस्ते बोझा, और बच्चे मजदूर हुए हैं !!

भाई भतीजावाद ! ज्यों का त्यों जान पड़ा रहा है 'उदय'
बस चेहरे, नीयत, सीरत, गली, मोहल्ले बदले हुए हैं !
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दिल को संभाल के रखना, अब हम धड़कन हुए हैं
सच ! हम, हम रहे 'उदय', अब हम तुम्हारे हुए हैं !
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सियासी दांव-पेंच और घातें नुकीली हुई हैं 'उदय'
सच ! बिना पैंतरेबाजी के मसले सुलझते कहाँ हैं !
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सच ! फेसबुक कुंभ का मेला हुआ है 'उदय'
चलो किसी "अखाड़े" में बैठ के बातें कर लें !
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जिस जमीं को खरीद के हम बर्बाद हुए हैं 'उदय'
उफ़ ! कोई है जो उसी को बेच के आबाद हुआ है !
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चलो किसी ने हमें अपना माना तो सही
उफ़ ! भले किरायेदार ही सही !
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खुशबू से तर-बतर हुआ, सारा जहां 'उदय'
किसी को नहीं खबर, आखिर माजरा है क्या !
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अच्छे-बुरे के अपने अपने फलसफे हैं 'उदय'
सच ! कोई समझाये, कौन अच्छा-कौन बुरा !
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किन्हीं बेरहमों ने स्कूली बच्चों पे जुल्म ढा दिए
उफ़ ! स्कूली बस्ते बोझा, और बच्चे मजदूर हुए हैं !
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सिर्फ राजा के बाजे से धुन नहीं निकली थी 'उदय'
सच ! पूरी की पूरी आर्केस्ट्रा पार्टी हुनरमंद है !
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भ्रष्टाचारी, घोटालेबाज, स्वीसबैंक खाताधारी, हुनरमंद हैं
क्यूं इन्हें पद्मश्री, भारत रत्न, पुरुस्कारों से नवाजा जाए !
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6 comments:

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय उदय जी..
नमस्कार
कडवी सचाई बयाँ की है आपने
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhtrin post mubaark ho . akhtar khan akela kota rajsthan

अजय कुमार झा said...

बहुत बढिया तेवर उदय भाई ..पूरा निचोड डाला है आपने

प्रवीण पाण्डेय said...

बस्ता लादे नित्य देखता हूँ बच्चों को, बड़ा दुख होता है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कई किलो का बोझ होता है..

राज भाटिय़ा said...

अरे हम भी ढोते थे लेकिन ती्न वर्ष की उम्र मै नही... बहुत सुंदर जी धन्यवाद