Saturday, April 10, 2010

"मिस-अंडरस्टैंडिग"

.... अभी-अभी पता चला कि ललित भाई और अनिल भाई के बीच .... शायद कोई "मिस-अंडरस्टैंडिग" होने के कारण बेवजह ही शीतयुद्ध चल रहा है .... मेरा दोनों से आग्रह इन चंद शेरों के माध्यम से इस प्रकार है :-

हम इंसा थे, या थे मिट्टी के पुतले
बारिश की बूंदों ने हमें मिट्टी बना डाला।

तुमने हमारी दोस्ती का, क्यूं इम्तिहां लिया
तुम इम्तिहां लेते रहे, और दूरियाँ बढती रहीं।


क्यूँ रोज उलझते-सुलझते हो मोहब्बत में
क्या हँसते-मुस्कुराते जीना खुशगवार नहीं ।


दुश्मनी का अब, वक्त नही है
अमन के रास्ते मे, काँटे बहुत हैं ।

9 comments:

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...

SHYAM JI ,AAPKI TIPPNIYAN MERA JOSH DOONA KAR DETI HAIN ,RCHNAYEN SOCHNE KO MAJBOOR KARTI HAIN KI ..BANDA ITNA ACHCHHA SOCHTA KAISE HAI...SARVOTTAM LEKHAN

दिनेशराय द्विवेदी said...

मिस अंडरस्टेंडिंग से कहो यूँ दोस्तों को लड़ाया न करे।

घटोत्कच said...

दोस्तों को दुश्मन बनाने वाले लोगों से
दोस्तों को सावधान रहना चाहिए।

Rohit Singh said...

ल़ड़ाई के बहाने आपने उम्दा शेर सुना दिए. धन्यवाद.....

M VERMA said...

क्यूँ रोज उलझते-सुलझते हो मोहब्बत में
क्या हँसते-मुस्कुराते जीना खुशगवार नहीं
शायद हकीकत यही है

Udan Tashtari said...

मिस अंडरस्टेंडिंग कुछ जानी पहचानी लगती है जो इतना लड़वाती है. :)

Dimple Maheshwari said...

काबिलेतारीफ है प्रस्तुति।.सारी रचनाये आपकी बहुत ही अच्छी है|

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जब भी दोस्ती को आजमाएंगे दूरियां बढाती ही जाएँगी.....बहुत खूब

संजय भास्‍कर said...

दोस्तों को सावधान रहना चाहिए।