रोज कदम हों
नए नए
और रोज बढ़ें हम
कदम कदम
एक दिन
मंजिल आ जायेगी
जब रोज चलें हम
कदम कदम !
कदम उठाएं
कदम बढाएं
कदम चलाएं
चलते जाएं, बढ़ते जाएं
न ठहरें, न थमें कहीं
एक मंजिल हो, एक कदम हों
तुम और हम हों, कदम कदम !
कदम कदम
हम चलते जाएं
चलते जाएं, बढ़ते जाएं
तूफानों से लड़ते जाएं
न हारें
और न घवराएं
पहुँच रहे हैं, पहुँच गए हैं
तेरे मेरे, हम सब के
मंजिल मंजिल, कदम कदम !!
5 comments:
हम भी हमकदम हैं आपके..
बहुत खूब, लाजबाब !
......श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनायें !
जय भोलेनाथ
मंजिल आ जायेगी
जब रोज चलें हम
कदम कदम !
प्रेरक पंक्तियाँ ...!
नाइस्……॥
हर कदम एक मंजिल,
हरेक दम एक मंजिल।
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