अन्ना जी, अरविंद जी
नमस्कार, जन लोकपाल के मसौदे पर मैं आपके विचारों व तर्कों से सहमत हूँ, पर जैसा अक्सर चर्चा-परिचर्चा पर देखने-सुनने मिल रहा है कि सरकार के कुछेक बुद्धिजीवी लोग ... प्रधानमंत्री व न्यायपालिका को लोकपाल से पृथक रखना चाहते हैं, इस मुद्दे पर आपने अपने जो विचार व तर्क प्रस्तुत किये हैं (मीडिया के माध्यम से) उन तर्कों से सहमत हूँ, पर सहमत होते हुए भी मेरी व्यक्तिगत राय है कि एक बार पुन: विचार करिए। प्रधानमंत्री व चीफ जस्टिस आफ सुप्रीम कोर्ट ... इन दो पदों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने में कोई बुराई नहीं है, इन दो पदों को लोकपाल के दायरे से पृथक रखा जा सकता है वो इसलिए कि जन लोकपाल के गठन के उपरांत सुचारू रूप से संचालन व क्रियान्वयन में ये दोनों पद महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। क्यों, क्योंकि कोई भी ढांचा या इकाई तब ही सुचारुरूप से कार्य संपादित कर सकती है जब उसको मजबूत सपोर्ट हो, और इन दोनों पदों को जन लोकपाल के गठन व संचालन के लिए महत्वपूर्ण सपोर्ट के रूप में रखा जा सकता है। हम आशा करते हैं / आशा कर सकते हैं कि जब जन लोकपाल सुचारुरूप से कार्य संपादित करने लगेगा तब इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर निसंदेह ईमानदार व निष्पक्ष विचारधारा के व्यक्ति ही पदस्थ हो पाएंगे ( तात्पर्य यह है कि आज के समय में इन पदों पर आसीन लोगों पर जो उंगली उठ रही है या उठ जाती है, उसकी संभावना नहीं के बराबर रहेगी ) ... संभव है आप व आपसे जुड़े सभी सदस्यगण मेरे विचारों से सहमत न हों, पर मेरा आग्रह है कि एक बार गंभीरतापूर्वक विचार अवश्य करें !
शेष कुशल ... धन्यवाद !!
( विशेष नोट :- वैसे तो मुझे उम्मीद है कि ये दोनों पद भी लोकपाल के दायरे में स्वस्फूर्त आ जायेंगे तात्पर्य यह है कि ज्यादा मसक्कत नहीं करनी पड़ेगी )
8 comments:
agreed
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
कुछ चुने हुए खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .
sangeeta jee ... aabhaar !!
आप के विचारों से सहमत हूँ|
मैं आपसे सहमत नही, क्षमा करें । आपने जो भी कारण बताये हैं, मुझे उनमें एक भी कारण इतना स्पष्ट और प्रभावी नही लगा । मुझे नही समझ आया कि कैसे ये दोनों एक सपोर्ट बन सकते हैं लोकपाल के लिये ? और यही नही क्या गांरटी है कि ये भ्रष्ट नही हो सकते, हम केवल आशा ही कर सकते हैं ना । हो सकता है कि मेरी अल्पबुद्धि की वजह से मुझे समझ ना आ रहा हो ।
neeraj jee ... aapkaa swaagat hai !!
सही बात है।
उदय जी यह सर्वविदित है की साँच को आंच नहीं। तो फिर ईमानदार लोगो को जांच के दायरे मे आने से किस बात का डर है।
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