ब्लागिंग में सफलता, पोस्ट पर पोस्ट, लिंक पर लिंक, हवाले-घोटाले, टिप्पणियों की भरमार ... बहुत खूब, बेहतरीन, लाजवाब, अदभुत, बेमिसाल, अतिसुन्दर, बगैरह बगैरह ... बिलकुल इस तरह की टिप्पणियों की भरमार ब्लागिंग में आम बात है ... पर क्या टिप्पणियों की भरमार, हवाले-घोटाले, रेंकिंग आपको एक सफल लेखक व् साहित्यकार बना रहे हैं ... सोचिये, ज़रा गौर फरमाइए स्वयं के लेखन पर ... इसका फैसला तो बाद में हो ही जाएगा की आप अच्छे लेखक हैं अथवा अच्छे ब्लॉगर ... एक बात और गौर करने योग्य है कि ब्लॉगर तो चाहता ही है कि उसकी प्रत्येक पोस्ट पर टिप्पणियों की भरमार हो, पर क्या पाठक / ब्लॉगर / लेखक / साहित्यकार भी अपनी अपनी आँखे मूँद कर टिप्पणियाँ दर्ज किये जा रहे हैं उन्हें यह दिखाई नहीं देता कि पोस्ट कितनी बढ़िया / घटिया है ... मुझे तो देखकर आश्चर्य होता है कि आधारहीन / औचित्यहीन / निर्थक / व्यर्थ की पोस्टों पर भी हम टिप्पणियों की भरमार कर रहे हैं और पोस्ट लेखकों को सफल ब्लॉगर की श्रेणी में खडा कर रहे हैं ... चूंकि मैं टिप्पणीकारों को मना तो नहीं कर सकता और न ही पोस्ट लेखकों को .... फिर भी इतना जरुर कहूंगा कि लेखक टिप्पणियों की संख्या देख देख कर गलतफहमी न पालें कि वे एक सफल लेखक बन गए हैं उन्हें अभी सार्थक व श्रेष्ठ लेखन करना है !
27 comments:
Zabardast.....
bahut khoob Uday ji ...........me to fan ho gaya apka
मै आप से शत प्रतिशत सहमत हूँ एक व्लागर तो तीन या चार प्रकार से रचना की " 'तारीफ़ " करता है |संख्या बढती जाती है लेखक खुश और कुछ पाठक भ्रमित हो जाते है
nice
सही कहा है दादा-लेकिन टिप्पणियां ही श्रेष्ठ लेखन का परिचायक हैं, ऐसा लगता है।
नागपंचमी की बधाई
सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं-हिन्दी सेवा करते रहें।
नौजवानों की शहादत-पिज्जा बर्गर-बेरोजगारी-भ्रष्टाचार और आजादी की वर्षगाँठ
bahut naainsafi hai ............ aak-thoo.
आपने ट्रकों के पीछे लिखा देखा होगा "दुल्हन वही जो पिया मन भाये "
तो भाईजी यही नियम हर किसी रचना के लिए लागू होता है हमें घटिया लगने वाली रचना दूसरों को बढ़िया लग सकती है यह हर व्यक्ति का अपना अपना नजरिया है |
कई बार मैं अपनी किसी पोस्ट को बढ़िया मानकर पब्लिश करता हूँ कि इस पर तो ढेरों टिप्पणियाँ आएगी पर नहीं आती जबकि कभी किसी चलताऊ लिखी पोस्ट पर ढेरों टिप्पणियाँ आ जाती है | दरअसल किसी पोस्ट के घटिया या बढ़िया का निर्णय पाठक ही कर सकते है , लेखक नहीं |
लेखनी वही जो पाठक को पसंद हो !!
सही है!
दरअसल सारी गड़बड़ कुछ पेशेवर छपास के शौकीनों और कुछ पेशेवर टिप्पणीकारों की वजह से है।
सही !!
कैंसर के रोगियों के लिये गुयाबानो फ़ल किसी चमत्कार से कम नहीं (CANCER KILLER DISCOVERED Guyabano, The Soupsop Fruit)
ब्लाग पर लिखकर आप अपना परिचय तो बढा रहे हैं लेकिन लेखन स्तरीय है या नहीं इसका आकलन नहीं हो पाता। कई बार देखा है कि किसी की गल्ती सुधारने को की गयी टिप्पणी भी लोगों को रास नहीं आती। इसलिए लोग अच्छा ही लिखते हैं। यही लेखक जब अपनी पुस्तक को लेकर समीक्षकों के पास जाएंगे तब असलियत पता लगेगी। हम ब्लाग को यदि सीखने का माध्यम भी बनाए तो हमारे लिए उपयोग रहेगा। इसलिए सार्थक टिप्पणियों को ही महत्व देना चाहिए।
आपने कहा - "…इसका फैसला तो बाद में हो ही जाएगा की आप अच्छे लेखक हैं अथवा अच्छे ब्लॉगर .."
भई, हम तो लेखक नहीं ब्लॉगर ही बनना चाहते हैं… देखते हैं कितना सफ़ल हो पाते हैं…
==============
ऊपर गुप्ता मैडम ने समीक्षकों की बात उठाई है, उससे असहमत हूं… क्योंकि समीक्षक हों या प्रकाशक, ये लोग तय नहीं कर सकते कि लेखन (या लेखक) की रचना और स्तर अच्छा है या नहीं…। इसलिये मैं ब्लॉगर ही भला… सफ़ल होता हूं या नहीं, यह तो वक्त बतायेगा…
टिप्पणियाँ लेखन की कसौटी नहीं होतीं।
--------
सपने भी कुछ कहते हैं।
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा....
ब्लोगिंग को साहित्य की एक अलग ही विद्या के रूप में देखा जाना चाहिए।
यह सामान्य विचारों का प्रकटीकरण व जानकारीयों के आदान प्रदान का माध्यम है।
bahut khoob Uday ji
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
शत प्रतिशत सहमत हूँ,,,
@रंजन
... घटिया पोस्टों पर टिप्पणी दर्ज करने वालों को मैं घटिया ... !!! ... यदि आपको यह पोस्ट घटिया लगी है तो आप अपनी टिप्पणी हटा दीजिये, मुझे खुशी होगी !!! ... अब मैं आपको सलाह तो दे नहीं सकता, नहीं तो सलाह भी अवश्य देता ... !!! ... इस पोस्ट पर से आप अपनी टिप्पणी हटा सकते हैं वैसे भी मैं डिफ़ाल्ट / फ़र्जी / झूठी / बेवजह की टिप्पणी पसंद नहीं करता हूं !!!
कई श्रेष्ठ लेखक अपनी पोस्ट डालने के तुरंत बाद,मिशन टिप्पणी के तहत काफी समय केवल टिप्पणियां करने में बिताते हैं। ज़ाहिर है,ऐसी टिप्पणियां बहुत खूब, बेहतरीन, लाजवाब, अदभुत, बेमिसाल, अतिसुन्दर...जैसी ही हो सकती हैं। और फिर शुरू होता है टिप्पणी प्राप्त करने वालों की ओर से उऋण होने का सिलसिला।
Get your book published.. become an author..let the world know of your creativity or else get your own blog book!
http://www.hummingwords.in/
bhaai jaan ap shi hen lekin saahity or adb ke aadaab akhlaaq hote hen pehlaa to yeh ke jo is kshetr men aata he uski hoslaa afzaayi ki jaati he dusre use sikhaaya jaata he tisre vaah vaahi to ki hi jati he me daave se kh sktaa hun ke blogr saathi km se km unse to achchaa likh rhe hen jo mele dshre or dusre mnchon se apni yaa kisi ki rchnayen pdh kr hzaaron rupye btor rhe hen men 4 maah purv is blogr duniyaa men aaya hun lekin yqin maaniye is duniyaa e sudhar ho rhaa he or ye sb aek dusre ko sikh dene sujhaav ene se hi mumkin ho skegaa. akhtar khan akela kota rajsthan
उदय भैय्या मैं तो समझता हूँ की हमें दूसरों की कमियां देखने की जगह अपना खुद का स्तर सुधारने पर ध्यान देना चाहिए. इससे हमारा विकास होता है. हाँ अगर आपको लगे की आप खुद कभी अपने वर्तमान स्तर से बेहतर नहीं हो सकते तो जरुर दूसरों की टांग खीचने का प्रयास करो.
आश्चर्य
उदय जी
आप हमेशा ही कडवा सच कहने मे माहिर रहे हैं…………और अजीत गुप्ता जी ने जो कहा है उससे सहमत हूँ।
सही है!
जी जनाब! होंगी आपके ब्लॉग में पचीसों टिप्पणियां, हम बिल्कुल भी ग़लतफहमी में नहीं है !
hamara desh duniyan ka sabase bada lokatantr hai bhaai ji yanha sabhi ko barabari ka purn adhikar hai , shikawa shikayat karane ka bhi purn adhikar hai aur gungan karane ka bhi lekin kisi ke amanat me khyanat karana jurm hai
arganikbhagyodayblogspot.com
Post a Comment