Friday, March 19, 2010

पुलिस का डंडा ...

पुलिस का डंडा कहां है
पुलिस वाले तो निहत्थे खडे हैं
अब कोई डरे, क्यों डरे ?

निहत्थों से भला कोई डरता है क्या ?
पुरानी कहावत है -
जिसकी लाठी उसकी भैंस !
जब डंडा नहीं, तो काहे की भैंस !

मैंने पूछा एक पुलिस वाले से
क्यों भाई आपका डंडा कहां है ?
वह मुस्कुरा कर बोला, साहब जी
डंडा "अलादीन" का "जिन्न" ले गया !

तो रगडो "चिराग" को
वह बोला - चिराग बडे लोगों के पास है
उनसे कहो रगडने के लिये
उनसे कहने की जुर्रत किसकी है !!

अगर कोई कह भी दे
तो उनके हाथ खाली कहां हैं !
दोनों हाथों में "कुर्सी"
और पैरों में "चिराग" उल्टा पडा है !!

उन्हें डंडे की कहां, अपनी कुर्सी की पडी है
मतलब अब निहत्थे ही रहोगे
निहत्थे रहकर -
कानून और जनता की रक्षा कैसे करोगे ?

पुलिस वाला बोला - साहब जी
खेत में खडा "बिजूका" भी तो निहत्था खडा है !
सदियों से खेत की रक्षा करता रहा है
हम भी "बिजूका" बन कर रक्षा करेंगे !!

जो डरेगा उसे डरा देंगे
जो नहीं डरा उसे ... !!

हमारा क्या होगा
ज्यादा से ज्यादा कोई "भैंसनुमा" मानव
धक्का मार कर गिरा देगा !
कानून और जनता की धज्जियां उडा देगा !!

मतलब अब कानून और जनता की खैर नहीं ?
नहीं साहब जी
कानून, जनता और पुलिस तीनों की खैर नहीं !!!

9 comments:

Udan Tashtari said...

ब्रेक के बाद इन्तजार रहेगा..शुभकामनाएँ मित्र.

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभीवादन।

Urmi said...

पुलिस वाला बोला - साहब जी
खेत में खडा "बिजूका" भी तो निहत्था खडा है
सदियों से खेत की रक्षा करता रहा है
हम भी "बिजूका" बन कर रक्षा करेंगे..
हर एक पंक्तियाँ बहुत ही सुन्दर है और सच्चाई का ज़िक्र करते हुए आपने उम्दा रचना प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ़ है! हमारे देश के पुलिसवाले कोई काम के नहीं हैं और हमेशा क़त्ल, डकैती, लूटमार, बलात्कार सब काम ख़त्म होने पर ही वहां पर पहुँचते हैं और उनसे कुछ भी उम्मीद करना बेवकूफी है!

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

BrijmohanShrivastava said...

भाई जी /इस पूरी रचना में व्यंग्य ही व्यंग्य भर डाला आपने तो

राज भाटिय़ा said...

पुलिस खुद मै एक डंडा है जी, यकिन नही तो कविता लिखने की जगह एक बार पंगा ले कर देखॊ इन पुलिस वालो से.......
बहुत सुंदर व्यंग्य है अप की इस कविता मै जी

Amitraghat said...

अरे वाह ! क्या व्यंग है...शानदार .."
amitraghat.blogspot.com

दिगम्बर नासवा said...

अच्छा व्यंग है ... कमाल का डंडा है ...

arvind said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति। ब्रेक के बाद इन्तजार रहेगा