tag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post2853048829560208397..comments2023-10-29T08:15:59.262-07:00Comments on कडुवा सच ...: ... ब्लागवाणी के महानुभावो आखें खोल लो !!कडुवासचhttp://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-74875715126467500392010-05-05T07:23:23.772-07:002010-05-05T07:23:23.772-07:00.
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अफलातून जी से सौ फीसदी सहमत ।.<br />.<br />.<br />अफलातून जी से सौ फीसदी सहमत ।प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-6424465410990070262010-05-05T06:25:25.629-07:002010-05-05T06:25:25.629-07:00सचमुच दिशा - दशा तय करने का उचित समय है। विचारणीय ...सचमुच दिशा - दशा तय करने का उचित समय है। विचारणीय पोस्ट।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन<br />09955373288<br />www.manoramsuman.blogspot.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-43265789252002240132010-05-05T05:46:20.959-07:002010-05-05T05:46:20.959-07:00यह मामला वाकई बहुत गम्भीर होता जा रहा है।यह मामला वाकई बहुत गम्भीर होता जा रहा है।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-55978934059973576542010-05-04T22:57:32.065-07:002010-05-04T22:57:32.065-07:00यार उदय जी,
कमाल कर दिया।
एक बात जरूर कहूंगा। दूसर...यार उदय जी,<br />कमाल कर दिया।<br />एक बात जरूर कहूंगा। दूसरों की तरह लिखने की बजाए अपनी ही तरह लिखें। अच्छा लिख रहे हैं। पसंद भी किए जा रहे हैं।नरेश सोनीhttps://www.blogger.com/profile/08779421955913717212noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-75519858701450275952010-05-04T21:32:01.956-07:002010-05-04T21:32:01.956-07:00जमाल, सलीम, कैरान्वी, अयाज जैसी ( कई नाम और भी हैं...जमाल, सलीम, कैरान्वी, अयाज जैसी ( कई नाम और भी हैं) हराम की औलादों ने ब्लोग्वानी को गंदा कर दिया है...https://www.blogger.com/profile/10433902105577171258noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-48116307070826511722010-05-04T20:02:42.066-07:002010-05-04T20:02:42.066-07:00यह ज़रूरी थोड़े ही है की कोई पोस्ट नापसंद होने पर ...यह ज़रूरी थोड़े ही है की कोई पोस्ट नापसंद होने पर ही चटका लगाये! ब्लौगर नापसंद होने पर भी तो लोग इस ऑप्शन को इस्तेमाल कर सकते हैं!निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-14055247689615651952010-05-04T19:39:51.524-07:002010-05-04T19:39:51.524-07:00कोई पोस्ट किसी को पसंद आ जाए तो आवश्यक नहीं है कि ...कोई पोस्ट किसी को पसंद आ जाए तो आवश्यक नहीं है कि सबकी पसंद हो।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-30344259749827184342010-05-04T19:39:01.893-07:002010-05-04T19:39:01.893-07:00सही तो है...जो पसंद आ रहा है उसे वे पसंद कर रहे है...सही तो है...जो पसंद आ रहा है उसे वे पसंद कर रहे हैं जिसे नहीं उसे नापसंद...इससे भिन्न भला क्या होना चाहिएसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-19607980129680729792010-05-04T18:32:40.509-07:002010-05-04T18:32:40.509-07:00@पं.डी.के.शर्मा"वत्स"
आपकी बात से सहमत ...@पं.डी.के.शर्मा"वत्स" <br />आपकी बात से सहमत हूं पसंद/नापसंद से कोई फ़र्क नहीं पडता ... पर इससे सिस्टम में गंदगी फ़ैल रही है ... अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो ब्लागजगत भी अपने देश में व्याप्त "गंदी राजनीति व भ्रष्ट व्यवस्था" का रूप ले लेगा ... फ़िर आप और आपके जैसे अनेक बुद्धिजीवी जो ये सोचते हैं क्या फ़र्क पडता है !... बाद में अपने-अपने सिर पर हाथ रखकर पछतायेंगें ... ठीक वैसे ही जो आज राजनीति को देखकर पछता रहे हैं !!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-33389365973447744932010-05-04T17:46:42.413-07:002010-05-04T17:46:42.413-07:00@Anaam
तुम जैसे चूतिया/कायर/हिजडे/गुमनाम/बेनाम/न...@Anaam <br />तुम जैसे चूतिया/कायर/हिजडे/गुमनाम/बेनाम/नपुंसक लोगों के कारण ही ब्लागजगत में गंदगी फ़ैल रही है ...<br />... तुम लोग ही गुमनामी व कायरता का लिबास पहन कर भडुवागिरी कर रहे हो ... <br />... करो, खूब करो!!!!!!!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-41368122848885865102010-05-04T11:28:49.324-07:002010-05-04T11:28:49.324-07:00इस पसन्द नापन्द से क्या फर्क पडता है...हम तो ये मा...इस पसन्द नापन्द से क्या फर्क पडता है...हम तो ये मानते हैं कि जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है वो भी अच्छा ही है और जो होगा वो शायद इससे भी कहीं अच्छा होगा...हिन्दी ब्लागिंग का भविष्य बहुउउउउउउत उज्जवल है :-)Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-63942504361323935482010-05-04T11:20:02.585-07:002010-05-04T11:20:02.585-07:00यार उदय, तुम तो बड़े चूतिया आदमी हो यार! लगे हुए ह...<b>यार उदय, तुम तो बड़े चूतिया आदमी हो यार! लगे हुए हो फुल चूतियापंती में! बस भी करो यार!!!<br /></b>Anaamhttps://www.blogger.com/profile/07025790068615228884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-65825358001352852182010-05-04T11:01:50.499-07:002010-05-04T11:01:50.499-07:00अरे इस पंगे को जड से ही क्यो नही हटा देतेअरे इस पंगे को जड से ही क्यो नही हटा देतेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-77384909422873436322010-05-04T10:31:26.425-07:002010-05-04T10:31:26.425-07:00क्या कोई ऐसी तकनीक है जिससे यह जाना जा सकें कि चटक...क्या कोई ऐसी तकनीक है जिससे यह जाना जा सकें कि चटका किसने लगाया है तो मजा आ जाए।Kumar Jaljalahttps://www.blogger.com/profile/17272554213360157887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-41547927533225664592010-05-04T10:29:21.883-07:002010-05-04T10:29:21.883-07:00कुमार जलजला तो इतना ही कह सकता है कि लोग जो कुछ क...कुमार जलजला तो इतना ही कह सकता है कि लोग जो कुछ कर रहे हैं वे ठीक नहीं कर रहे हैं।Kumar Jaljalahttps://www.blogger.com/profile/17272554213360157887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-89065766011985777292010-05-04T09:08:52.235-07:002010-05-04T09:08:52.235-07:00अफ़लातून जी की बात से मैं सहमत हुँ कि कोई पोस्ट किस...<i><b>अफ़लातून जी की बात से मैं सहमत हुँ कि कोई पोस्ट किसी को पसंद आ जाए तो आवश्यक नहीं है कि सबकी पसंद हो। कोई उसे नापसंद भी कर सकता हैं।<br /><br />लेकिन जब गुट या गैंग बनाकर किसी एक ब्लागर को कई दिनों तक निशाना बनाया जाए तो आप क्या कहेंगे? कोई रोज आपकी नापसंदी के लिए तो नहीं लिख रहा है।<br /><br />मेरी तो पोस्ट पर जब से चिट्ठाचर्चा डॉट काम विवाद हुआ है तभी से नापसंद लग रहा है। पाठक संख्या 0 होती है और नापसंद 2 दिखा रहा होता है। मतलब पोस्ट बिना पढे ही नापसंद हो जाती है। यह पुर्वाग्रह क्यों?<br /><br />इसका मतलब यह है कि ब्लागवाणी द्वारा दी गयी सुविधा का गलत फ़ायदा उठाया जा रहा है।<br /><br />अब मैने तो इस पर ध्यान देना ही छोड़ दिया है जिसकी जो मर्जी हो करे। <br /><br />जय हिंद</b></i>ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-53614267636399653912010-05-04T08:54:33.817-07:002010-05-04T08:54:33.817-07:00@मसिजीवी जी
क्या आप इस बे-सिर-पैर के सिस्टम से सह...@मसिजीवी जी <br />क्या आप इस बे-सिर-पैर के सिस्टम से सहमत हैं ?<br />और जरा अफ़लातून जी से भी पूछ लीजिये क्या वे भी सहमत है ??कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-18680377740550103792010-05-04T08:37:26.992-07:002010-05-04T08:37:26.992-07:00पता नहीं क्यूँ लोग चिढ़ते हैं......पता नहीं क्यूँ लोग चिढ़ते हैं......डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-2406798843759488672010-05-04T08:30:18.120-07:002010-05-04T08:30:18.120-07:00दोस्त अफलातूनजी की बात पर ध्यान दें- सामूहिक विव...दोस्त अफलातूनजी की बात पर ध्यान दें- सामूहिक विवेक की अवधारणा में अतार्किकता की भी कुछ गुंजाइश छोड़नी होती है लेकिन दीर्घावधि में विवेक ही स्थापित होता है।<br /><br />आपने कहा- <br />जिस पोस्ट को चाह रहे हैं उसे पसंद और जिसे नहीं चाह रहे उसे नापसंद से नवाज दे रहे हैं ...<br /><br />सही तो है...जो पसंद आ रहा है उसे वे पसंद कर रहे हैं जिसे नहीं उसे नापसंद...इससे भिन्न भला क्या होना चाहिए। 'क्यों पसंद कर रहे हैं क्यों नहीं' ये अलहदा सवाल है तथा इसे मात्रात्मक नहीं बनाया जा सकता।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-43742552883371864812010-05-04T08:26:18.513-07:002010-05-04T08:26:18.513-07:00ज्ञान जी
... अब आप से मेल-मुलाकात होते रहेगी !ज्ञान जी <br />... अब आप से मेल-मुलाकात होते रहेगी !कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-40730991182547415032010-05-04T08:24:36.964-07:002010-05-04T08:24:36.964-07:00अफ़लातून भाई
मैं समझ रहा हूं कि आप और आपके जैसे अन...अफ़लातून भाई <br />मैं समझ रहा हूं कि आप और आपके जैसे अनेक बुद्धिजीवी ब्लागवाणी के इस बे-सिर-पैर के सिस्टम के आदि हो गये हैं पर ये ब्लागजगत के लिये उचित नहीं है इसका कुछ-न-कुछ उपाय निकालना जरुरी है!<br />रही बात कड़ुए सच को आंख बन्द कर घोंट के पीने की ... शायद आप लोग पी सकते हैं ... पर अपने लिये तो यह संभव नहीं है ... इसे पियेंगे नहीं पिला कर ही रहेंगे !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-9546357130378443852010-05-04T08:15:05.918-07:002010-05-04T08:15:05.918-07:00Meri samajhke dayre ke bahar hai sab kuchh!Meri samajhke dayre ke bahar hai sab kuchh!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-73404485519133255532010-05-04T08:06:29.915-07:002010-05-04T08:06:29.915-07:00श्याम भाई ,
आप कुछ दिन पहले से ही इस समस्या से आक...श्याम भाई ,<br /> आप कुछ दिन पहले से ही इस समस्या से आक्रान्त होकर इसी पर अपनी समझ से लिखते आ रहे हैं।आप चाहे जो उदाहरण दे दें लेकिन ’पसंद’ और ’नापसंद’ परिभाषित नहीं किए जा सकते। आपकी कोई भी ’पसंद’ मेरी ’नापसंद’ हो सकती है क्योंकि यह गुणात्मक है, मात्रात्मक नहीं । गणित और दर्शन तर्क-शास्त्र पर आधारित होते हैं तथा जो गुण परिभाषित नहीं किए जा सकते उनके बारे में यह नहीं कहा जा सकता के वे ’हैं’ अथवा ’नहीं’।जब ’हैं’ अथवा ’नहीं’स्पष्टतौर पर कहा जा सकता है,तब उन्हें परिभाषित करने योग्य माना जाता है तथा ’गणितीय वक्तव्य’ भी। इसलिए आप से सविनय निवेदन है कि इन बुनियादी तथ्यों को समझने की पूरी कोशिश करें तथा अभी भी यदि दिक्कत हो तो उसे बतायें। जिन पोस्टों को,जो सज्जन अथवा दुर्जन चाह रहे है उन्हें ’पसंद’ करते रहेंगे तथा जिन्हें नहीं चाहेंगे उन्हें ’नापसंद’ करते रहेंगे। ब्लॉगवाणी से जुड़े महानुभाव आप जैसी नासमझी के चक्कर में नहीं पड़ेंगे ,भरोसा है।<br /> इस कड़ुए सच को आंख बन्द कर घोंट जाइए।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-80928422592332551602010-05-04T07:55:47.082-07:002010-05-04T07:55:47.082-07:00अरे आपका प्रोफ़ाईल कहीं नहीं दिख रहा!!! मोबाईल नम्ब...अरे आपका प्रोफ़ाईल कहीं नहीं दिख रहा!!! मोबाईल नम्बर से लग रहा कि आप मध्यप्रदेश के इलाके से हैं!ज्ञानhttps://www.blogger.com/profile/03778728535704063933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1951236445648618208.post-82731866645997355252010-05-04T07:52:23.280-07:002010-05-04T07:52:23.280-07:00@ फ़िरदौस ख़ान
आपके पसन्द वाले चटके का लाभ तो श्याम...@ फ़िरदौस ख़ान<br /><br />आपके पसन्द वाले चटके का लाभ तो श्याम जी को अवश्य ही मिला है क्योंकि उससे श्याम भाई के पोस्ट में पसन्द '-1' के स्थान पर '0' हो गया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.com