Sunday, September 2, 2018

दहशतगर्दी

01

न तू
न तेरी मोहब्बत
और न ही ये तेरा शहर रास आया

सोचता हूँ
मैं यहाँ अब तक रुका क्यूँ था ?

~ उदय

02

साब जी
उसकी मंशा ठीक नहीं है ...
कहो तो -
गिरफ्तार कर लूँ ?

अबे, तुझे कैसे पता ??

अरररे ... साब जी
वह ..
सोशल मीडिया पर रोज कुछ भी उट-पुटांग लिख कर
क्योश्चन(?)मार्क लगा देता है

उसकी सवाल करने की .. आदत ... मंशा .....

समझो न साब जी
ऐसे लोग ... कितने खतरनाक .... ???

~ उदय

03

उसके शब्द
खंजर से भी ज्यादा पैने हैं
और सवाल
मिसाइल से भी ज्यादा विस्फोटक

उसे पढ़कर, सुनकर
कई लोग सुध खो बैठते हैं

और

आप यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि -
वह देशद्रोही है ..... ?

क्यूँ मी लार्ड .. क्यूँ .... ??

~ उदय

04

तुम मुझे समझने की कोशिश करते रहो
और जानने की भी
तुम्हारी मर्जी

पर
ये मत भूलो कि तुम अब मेरे दायरे में हो

मैं
किसी न किसी दिन

बड़े आहिस्ते
तुम्हारे भीतर, पूरा का पूरा समा जाऊँगा

फिर
बेसुध जिस्म और चमचमाती आँखों से

समझते रहना मुझे ... !!

~ उदय

05

अब .. तब ..

तब ... अब ..
बोलो .. कब तक खामोश रहें

कहो.. कुछ तो कहो
क्या .. यूँ ही ... तुम भी खामोश रहोगे ?

खामोशी भी .. कभी-कभी ..
चुभने लगती है

देखो .. सुनो ..
बीच-बीच में कुछ बोलते रहा करो

जुबां से न सही तो
आँखों से .. !

~ उदय

06

लो, अब तो
बच्चों ने भी घर से निकलना बंद कर दिया है

चीलें भी मंडराने लगी हैं आसमां में

परिंदों में फड़फड़ाहट
जानवरों में छटपटाहट
और
बुजुर्गों में घबराहट साफ नजर आ रही है

क्या इतनी दहशतगर्दी पर्याप्त नहीं है हुजूर ?

कहो तो -
खून से सने खंजरों की
एक-दो रैलियां और निकलवा दूँ हुजूर ??

~ उदय

07

जी चाहता है
गटक लूँ तुम्हें .. गुपचुप की तरह ...

गटकते रहूँ ..
गटकते रहूँ ..
गटकते रहूँ ..
गटकते रहूँ ..

तब तक ... जब तक ....
डकार न आ जाये

मैं जानता हूँ
घंटे दो-घंटे में हजम हो जाओगी तुम

कुछ इस तरह
हम ..
एक हो जाएंगे .. सदा सदा के लिए ... !

~ उदय 

3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बढ़िया

'एकलव्य' said...

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०३ सितंबर २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।



आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

रेणु said...

मर्मान्तक सत्य से भरी पंक्तियाँ |