Monday, February 17, 2014

हालात ...

ये दांव, बहुत भारी पड़ सकता है 'उदय' 
कोई भी स्वयं-भू, इसे हलके में न ले ?
… 
अब ये तो वक्त ही बतायेगा 'उदय' 
कि कुल्हाड़ी पे पाँव मारा किसने है ? 
... 
अब देखते हैं 'उदय', कौन किसपे भारी पड़ता है 
हार कर जीतने वाला या जीत कर हारने वाला ?
…  
तंग हालात में भी शान न टूटने पाये 
'उदय' कुछ राहें ऐंसी दिखाते रहना ?
… 
'खुदा' की मर्जी के आगे यहाँ चलती किसकी है 'उदय' 
फिर भी, लोग हैं जो खुद को स्वयं-भू समझते हैं ??
… 

3 comments:

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।

प्रवीण पाण्डेय said...

सामयिक..

देवदत्त प्रसून said...

बात तो ठीक ही है !