Thursday, February 14, 2013

बासंती हवा ...


सिर्फ ... न इधर, न उधर ...
फिर किधर ? 
चहूँ ओर ... 
धरा, आसमां, लोक, परलोक ... 
सब जगह ... 
क्यों ? ... कैसे ?? 
बस,... हवा हूँ ... बासंती हवा !!

3 comments:

Arun sathi said...

khoob...
बासंती हवा !

शिवा said...

वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

kavita verma said...

basant panchami ki bahut bahut shubhkamnaye..