Monday, September 17, 2012

खुशबू ...

उफ़ ! अब हम, ये किस भ्रम में पड़े हैं 'उदय' 
कह तो दिया है उन्ने, कि - तुम्हें चाहते हैं ? 
... 
हमें तो नहीं आती शर्म, तुम चाहो तो शर्मा लो 
ये बेशर्मी नहीं, हमारा हुनर है ??????????
... 
उनसे बिछड़े तो इक अर्सा हो गया है 'उदय' 
पर उनकी खुशबू, यादों संग लिपटी पडी है ? 
... 
उन्ने तो 'उदय', अब तक हमें दुआ-सलाम तक नहीं किया है 
अब तुम ही कहो, कैसे हम ...... उनकी चर्चा शुरू कर दें ?? 

2 comments:

mridula pradhan said...

उन्ने तो 'उदय', अब तक हमें दुआ-सलाम तक नहीं किया है
अब तुम ही कहो, कैसे हम ...... उनकी चर्चा शुरू कर दें ?? badi achchi pangti hai.....

virendra sharma said...

तुम्हारे शह्र में रहने से अच्छा
कहीं जाकर बयाबानी में रहना.
मुहावरों का गजल में बेहतरीन प्रयोग किया है .
एक सशक्त हस्ती को पढवाया चर्चा मंच ने शुक्रिया दोनों का .

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