Tuesday, June 12, 2012

सरकारी अनाज ...


न जाने कौन था जिसका जनाज़ा सामने था 
मैं खुद को रोक नहीं पाया, कांधा लगाने से !
... 
यकीन कर, इत्मिनान रख, ठहर जा 
नहीं मुमकिन जमाने में, मुझसे बेहतर कोई मिलना ? 
... 
चलो माना, कि - सरकारी अनाज चूहे खा रहे हैं 'उदय' 
फिर गरीबों के पेट के चूहे,  भूखे क्यूँ हैं ? 

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