Wednesday, January 12, 2011

सरकारें ! तू चोर, तू चोर, चोर चोर मौसेरे भाई !!

बफा की बातें, और बेवफाई यारा
आज का दौर है, सब चलता है !
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मन, भावनाएं, स्वप्न, कल्पनाएँ, स्वर्ग, नर्क
चलो सबको मिलाकर, रचें एक नया जहां 'उदय' !
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जीभ, आँखें, शब्द, भेद, सत्य, असत्य
अनोखा कुछ नहीं, सच ! ये जीवनचक्र है !
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उफ़ ! कल पढ़ा, मतदान, सबसे बड़ा दान है 'उदय'
सोचता हूँ, देने वाला या उकसाने वाला, कौन है ज्ञानी !
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मंहगाई ! दोनों कठघरों से आवाज आई है 'उदय'
सरकारें ! तू चोर, तू चोर, चोर चोर मौसेरे भाई !
.....

जख्म हों या मोहब्बत हो 'उदय'
जाते जाते ! निशां छोड़ जाते हैं !
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कल तक ये जहां, गुमशुम सा था
तुम जो मुस्कुराए, खुशी गई !
.....
जब जिक्र हो स्वतंत्रता का 'उदय'
सच ! नौकर तो गुलाम ही होते हैं !
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क्या हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ, खबर नहीं
कल तक गरीब था, नेता बना अमीर हो गया !
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क्या हुआ, छोडो भी अब, जाने भी दो
भूल हुई, हमसे हुई, जो तुम्हें अपना कहा !
.....
भीड़ बढ़ती गई, बढ़ते ही चली गई 'उदय'
हम चलते रहे, कारवां भी चलता ही रहा !
.....
अब उनका गुनाह क्या, जो खड़े हैं बाजार में
खरीददार कोई और है, बिकबाल कोई और !
.....
अब सोतों को, मत जगाओ 'उदय'
उफ़ ! घर लुटता है, तो लुट जाने दो !

17 comments:

Arvind Jangid said...

लुटता है तो लुट जाने दो.....सुन्दर रचना.

केवल राम said...

अब उनका गुनाह क्या, जो खड़े हैं बाजार में
खरीददार कोई और है, बिकबाल कोई और !
.....
सही फ़रमाया है ..परन्तु स्थिति के साथ क्या कर सकते हैं ..शुक्रिया

प्रवीण पाण्डेय said...

शब्दों का आक्रोश।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

मौसेरे ही क्यों?

vandana gupta said...

बहुत ही कडवा सच लिखते है हमेशा ही।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सच से साक्षात्कार अच्छा लगा ...

संगीता पुरी said...

बहुत सही .. सुंदर प्रस्‍तुति !!

पी.एस .भाकुनी said...

मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

Deepak Saini said...

लुटता है तो लुट जाने दो.....सुन्दर रचना.

Sushil Bakliwal said...

लुटता है तो लुट जाने दो । उत्तम...

Kailash Sharma said...

क्या हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ, खबर नहीं
कल तक गरीब था, नेता बना अमीर हो गया !
.....
बहुत कटु सत्य..मन को छूलेने वाली प्रभावपूर्ण पंक्तियाँ..

राज भाटिय़ा said...

सत्य वचन जी

Patali-The-Village said...

मन को छूलेने वाली प्रभावपूर्ण पंक्तियाँ| धन्यवाद|

palash said...

काश सोते हुये आपकी रचना पढ ले । या कोई उन्हे सुना ही दे ।
तो शायद वो हमेशा के लिये जाग जाये ।

उपेन्द्र नाथ said...

घर लुटता है, तो लुट जाने दो ! ........प्रभावपूर्ण पंक्तियाँ.

Chaitanyaa Sharma said...

सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......सादर

संजय भास्‍कर said...

..मन को छूलेने वाली पंक्तियाँ..