"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
कदम-दर-कदम रास्ते घटते गए और फासले बढते गयेफिर हौसले बढते गये और मंजिलें बढती गईं ।
होंसले बढे रहने चाहियें ............ मंजिलें तो मिल ही जायेंगी
Post a Comment
1 comment:
होंसले बढे रहने चाहियें ............ मंजिलें तो मिल ही जायेंगी
Post a Comment